असम में बाल विवाह को लेकर जोरशोर से हंगामा हो रहा है ,बाल विवाह जैसी कुप्रथा को भी लेकर वह सियासत गहरा गई है ,राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार असम में मातृ और शिशु मृत्यु दर सबसे ज़्यदा है और इसका सबसे बड़ा कारण है बाल विवाह। असम में बाल विवाह करने वाले और करने वालो के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जा रही जिसको लेकर असम में हिन्दू -मुसलमान पर जोर शोर से राजनीति की जा रही है।
बाल विवाह को लेकर असम सरकार की करवाई को लेकर विपक्ष ने चुनावी ऐंगल निकाल लिया है , विपक्षी पार्टियों का आरोप है की 2024 में लोकसभा का चुनाव होना है उसी को देखते हुए असम के मुख्यमंत्री हेमंता सरकार ने हिन्दू मुस्लिम दाव चला है मुस्लिम धर्म गुरु भी हेमंता सरकार की नियत पर सवाल उठा रहे है। पुलिस ने बाल विवाह करने वालो के खिलाफ अभियान चलाया है इस अभियान के तहत पुरे राज्य में 4074 मामले दर्ज किये है वही 57 काजी और पुजारियों समेत 2500 से अधिक लोगो को गिरफ्तार भी किया है.
कुप्रथा की लड़ाई पर बवाल क्यों –
बल विवाह जैसी कुप्रथा पर कानून का कोड़ा चला तो ,लोगों में हंगामा मच गया ,लोग जगह जगह प्रदर्शन करने लगे ,नारे लगाने लगे ,पोस्टर लहराने लगे ,तोड़फोड़ करने लगे वही विपक्ष इल्जाम लगा रहा है की पूर्वोतर में होने वाले चुनाव होने के कारण मुस्लिमो को टारगेट किया जा रहा है ,
वही बल विवाह के कानून तोड़ने वालो पर जब कार्यवाही और गिरफ्तारी हुई तो तो उनके परिवार वालो ने प्रदर्शन को और बड़ा कर दिया। असम की आबादी तीन करोड़ बारह लाख है जबकि यहाँ मुस्लिमों की संख्या करीब एक करोड़ है विपक्षियो का कहना है की हेमंता विस्वकर्मा ने बाल विवाह को ढाल बना कर अपना हित साध रहे है।
बाल विवाह पर कानून क्या कहता है –
भारत में विवाह करने के लिए एक आयु सीमा तय की गई है , अगर कोई उस तय आयु सीमा से पहले विवाह करता है तो उसे बाल विवाह माना जायेगा। भारत में कानून के मुताबिक विवाह के लिए लड़के की उम्र 21 साल और लड़कियों की उम्र 18 साल होनी चाहिए। 14 साल से कम उम्र के लड़कियों के साथ शादी करने वाले पुरुषों पर पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज होगा ,जबकि 14 से 18 साल की लड़कियों से शादी करने वालो पुरुषों पर 2006 के बाल विवाह प्रतिषेध कानून के तहत मुकदमा चलाया जायेगा।
बाल विवाह रोकने के लिए अहम कदम –
भारत में शादी के लिए लड़कों की कानूनी उम्र 21 साल और लड़कियों के लिए 18 साल निर्धारित किया गया है अगर कोई इस तय उम्र से कम उम्र में सविवाह करता है तो उसे बाल विवाह मन जायेगा।
बाल विवाह पर रोक लगाने के लिए हमारे देश में आजादी के पहले से कानून है ,सबसे पहले ”बाल विवाह प्रतिबन्ध अधिनियम ,साल 1929 में 28 सितम्बर को इम्पीरियल लेजिस्लेटिव काउंसिल ऑफ़ इंडिया में पारित हुआ ” इस कानून में लड़को की उम्र 18 साल और लड़कियों की 14 साल थी . साल 1978 में इस कानून में संशोधित कर लड़को की उम्र 21 साल और लड़कियों की 18 साल है। अगर कोई इस तय उम्र से काम उम्र में विवाह करता है तो बाल विवाह माना जायेगा।
बाल विवाह एक अपराध है इसे रोकने में सरकार की मदद करनी चाहिए ,कोई भी व्यक्ति जिसे बाल विवाह की जानकारी हो , अपने जिले के न्यायिक मजिस्टेड को सूचना दे सकते है ,जो शादी को रोकने का आदेश दे सकता है। जिला कलेक्टर या पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों को भी बाल विवाह रोकने के अधिकार दिए गए है ,वें जरुरी कदम उठा सकते है। रोकनर के आदेश के बाद भी की गई शादी शून्य होगी ,यानि कानून की नजर में वो अमान्य होगी।
बाल विवाह होने के कारण –
1 . शिक्षा की कमी के कारण लोग बाल विवाह से होने वाले नुकसान को नहीं समझ पाते और बचपन में ही अपने बचे का घर बसा देना चाहते है ,अशिक्षा ही सबसे बड़ी कारण है बाल विवाह होने का।
2 . गरीबी भी बाल विवाह जैसी कुप्रथा का एक कारण है ,निर्धनता के कारण लोग जल्दी शादी कर देते है की ताकि जनसंख्या बढ़े और कमाने वालो की संख्या ज्यादा से ज्यादा हो सके।
3. भारत की अधिकांश जनसंख्या ग्रामीण क्षेत्रो में निवास करती है जहा पशुपालन और कृषि करके अपना जीवन यापन करते है ,इन दोनों कार्यो में मेहनत ज्यादा लगती है , इसलिए वे लोग विवाह जल्दी कर देते है जिससे बच्चे पैदा हो और व कृषि कार्यो में मदद कर सके।
4. बाल विवाह के ऐतिहासिक कारण भी रहे है ,भारत में पहले अंग्रेजो का हुकूमत हुआ करता था बहन बेटियों के इज्जत की खातिर काम उम्र में ही माता पिता शादी कर देते थे। जिसकी वजह से आज भी बहुत जगह लोग बल विवाह को मानते है।
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