दूरगामी फैसले: दूरगामी फैसले का मतलब यह भी है कि चुनाव आयोग में एक स्वतंत्र सचिवालय, नियम बनाने वाली शक्तियां, एक स्वतंत्र बजट और महाभियोग से समान सुरक्षा होगी। सर्वोच्च न्यायालय ने आज कहा कि चुनाव आयुक्तों को एक पैनल द्वारा नियुक्त किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश, “चुनावों की शुद्धता बनाए रखने” के उद्देश्य से एक ऐतिहासिक फैसले में शामिल होंगे। मुख्य चुनाव आयुक्त और दो चुनाव आयुक्त, जो देश भर में चुनावों की देखरेख करते हैं, को एक समिति की सलाह पर नियुक्त किया जाएगा जो विपक्ष और न्यायपालिका को एक कहेंगी ।न्यायमूर्ति केएम जोसेफ के नेतृत्व में पांच-न्यायाधीश संविधान पीठ ने कहा, “चुनाव निस्संदेह निष्पक्ष होना चाहिए और यह सुनिश्चित करने के लिए भारत के चुनाव आयोग के साथ रुकता है।”
“लोकतंत्र में, चुनावों की शुद्धता को बनाए रखा जाना चाहिए या फिर यह विनाशकारी परिणामों को जन्म देगा,” सर्वसम्मत फैसले ने कहा।दूरगामी फैसले का मतलब यह भी है कि चुनाव आयोग में एक स्वतंत्र सचिवालय, नियम बनाने वाली शक्तियां, एक स्वतंत्र बजट और महाभियोग से समान सुरक्षा होगी।
समिति बनाई गई अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच के लिए
समिति बनाई गई अडानी ग्रुप पर लगे आरोपों की जांच के लिए उधर, पिछले महीने से ही हंगामे का कारण बनी हिंडनबर्ग रिपोर्ट में उठाए गए सवालों की जांच को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है । सर्वोच्च न्यायालय ने विशेषज्ञों की एक समिति गठित कर दी है जो अडानी समूह की कंपनियों पर लगे आरोपों की जांच करेगी । छह सदस्यीय समिति की अध्यक्षता सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एएम सप्रे करेंगे । ओपी भट्ट, जस्टिस जेपी देवदत्त, केवी कामत, नंदन निलेकणि और सोमशेखरण सुंदरेशन इस समिति के सदस्य होंगे । उच्चतम न्यायालय ने सेक्युरिटी एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया यानी सेबी( SEBI) से भी सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट मांगी है । सेबी भारत में शेयर बाजार की नियामक संस्था है । सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सेबी को दो महीने में जांच करके रिपोर्ट देनी होगी । हिंडनबर्ग रिपोर्ट में अडानी समूह पर शेयरों की कीमतें फर्जी तरीके से बढ़ाने का आरोप है| मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य दो चुनाव आयुक्तों के चयन पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के विपक्षी दलों के नेताओं ने योग्यता की है । सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की पीठ ने शक्तियों से दिए गए फैसले में कहा कि मुख्यमंत्री, सभी के नेता और सर्वोच्च कार्ट के प्रधान न्यायाधीश की एक समिति राष्ट्रपति को मुख्य चुनाव आयुक्त और दो अन्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए सलाह देंगे ।
निर्वाचन आयोग में सुधार पर बोले जस्टिस जोसफ निर्वाचन आयोग में सुधार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई करने वाली संविधान पीठ की अगुवाई जस्टिस जोसफ ने की। उन्होंने फैसला सुनाते हुए कहा, ‘किसी मजबूत और उदार लोकतंत्र की पहचान को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए कि लोकतंत्र की ताकत पूरी तरह लोगों को मिलने वाले अधिकारों पर निर्भर है। वोट सबसे ज्यादा ताकतवर है, जो सबसे शक्तिशाली दल को भी सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा देता है।’ उच्चतम न्यायालय का यह फैसला उस याचिका पर आया है जिसमें भारत के निर्वाचन आयोग के सदस्यों की नियुक्ति प्रक्रिया में सुधार की मांग की गई थी।