एम्स और दिल्ली सरकार के अस्पतालों के बीच गंभीर मरीजों के बेहतर इलाज के लिए क्रास रेफरल व्यवस्था लागू करने पर काफी हद तक सहमति बन चुकी है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डा. एम. श्रीनिवास ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर अस्पतालों के बीच यह रेफरल व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव भेजा है। पत्र में आगाह किया है कि रेफरल व्यवस्था लागू न होने से मौतों का आंकड़ा बढ़ सकता है।
समस्या यह है कि एम्स के इमरजेंसी में गंभीर मरीजों का बहुत दबाव है। बेड की कमी के कारण मरीज घंटों इमरजेंसी के बाहर स्ट्रेचर पर पड़े रहते हैं और उन्हें जल्दी इलाज नहीं मिल पाता। एम्स निदेशक द्वारा लिखे गए पत्र में भी इस बात का जिक्र करते हुए कहा है कि इस हालत से मौतें बढ़ सकती हैं। इसलिए अस्पतालों के बीच बेहतर तालमेल व रेफरल व्यवस्था होना जरूरी है।
इस वजह से क्रास रेफरल व्यवस्था की जरूरत
एम्स प्रशासन से जुड़े अधिकारी बताते हैं कि यह देखा गया है कि एम्स और केंद्र के बड़े अस्पतालों के अलावा दिल्ली सरकार के जीबी पंत और जीटीबी अस्पताल की इमरजेंसी में भी दबाव अधिक है। अन्य ज्यादातर अस्पतालों की इमरजेंसी की मौजूदा क्षमता का 20 प्रतिशत ही इस्तेमाल हो पाता है। इसलिए जीबी पंत, लोकनायक, जीटीबी, एलबीएस, संजय गांधी स्मारक अस्पताल, नेहरू बाल चिकित्सालय सहित दिल्ली सरकार के करीब 25 अस्पतालों के साथ क्रास रेफरल व्यवस्था लागू करने का प्रस्ताव भेजा गया है।