प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में बाघों की संख्या के नए आकड़े जारी किए है , बाघों की गड़ना हर चार साल पर की जाती है। साल 2018 में देश में बाघों की संख्या 2967 थी ,और साल 2022 के आकड़े के अनुसार बाघों की संख्या 3167 थी , पिछले चार सालों में बाघों की संख्या में 200 की बढ़ोत्तरी हुई है।
बाघों की गिनती कैसे की जाती है ?
1 अप्रैल, 1973 को बाघों की बचाने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया गया। प्रोजेक्ट की शुरुआत में इसमें 9 टाइगर रिजर्व को शामिल किया गया था और यह 17 ,278 वर्ग किमी में फैला हुआ है। इंदिरा गांधी सरकार में शुरू हुए प्रोजेक्ट टाइगर के पहले निदेशक का जिम्मा कैलाश सांखला ने संभाला था.
प्रोजेक्ट टाइगर का पहला निदेशक-
कैलाश सांखला को ‘द टाइगर मैन ऑफ इंडिया’ भी कहा जाता है. बाघों के प्रति उनका लगाव बहुत ज्यादा था इसी को देखते हुए उनको प्रोजेक्ट टाइगर का पहला निदेशक बनाया गया था. बाघों की गिनती के लिए उनका अपना यूनिक फुटप्रिंट होता है ,जो आसानी से बाघों के पैरों के निशान को ढूंढ लेता है।हालांकि 75,000 वर्ग किमी का क्षेत्र कवर करता है. इतने बड़े क्षेत्रफल में बाघों की गिनती करना आसान काम नहीं है.लेकिन धीरे – धीरे समय बदला और अब वन विभाग के कर्मचारी कैप्चर-मार्क-एंड-रीकैप्चर मेथड का इस्तेमाल करने लगे. इसमें बड़े पैमाने पर सैंपल इकठ्ठा किए जाते हैं, जिसके आधार पर बाघों की संख्या का अनुमान लगाया जाता है.