महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने चुनाव आयोग में अर्जी दायर किये थे उद्धव ठाकरे की गुट अपने मार्ग से भटक गई है ,वो अपने उद्देश्यों और लक्ष्यों को भूल गए है शिंदे ने अपील की थी शिवसेना पर अधिकार उनको दे दिया जाये, और अब शिवसेना पर महराष्ट्र के मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे का अधिकार हो गया है।
शिवसेना को अपना सियासी विरासत मानने वाले उध्दव ठाकरे को चुनाव आयोग से बड़ा झटका लगा है , केंद्रीय चुनाव आयोग (ECI ) ने आदेश दिया की शिवसेना पार्टी का नाम और चुनाव चिन्ह एकनाथ शिंदे गुट के पास रहेगा। एकनाथ शिंदे गुट अब शिवसेना कहलाएगा और उनका चुनाव चिन्ह तीर – कमान होगा।
चुनाव आयोग ने किस आधार पर लिया ये फैसला –
शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की सियासी विरासत पर दावा करने वाले उध्दव ठाकरे को चुनाव आयोग से बड़ी निराशा मिली है उध्दव ठाकरे को अपने पार्टी का नाम और निशान दोनों खोना पड़ा हैं। एकनाथ शिंदे ने पिछले साल उध्दव ठाकरे की सर्कार गिराने के बाद से शिवसेना के दोनों गुट (एकनाथ शिंदे और उध्दव ठाकरे ) पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह के लिए आपस में लड़ रहे थे ,
उस लड़ाई में एकनाथ शिंदे गुट को जीत मिली और शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह (तीर – कमान ) एकनाथ शिंदे को मिल गया और चुनाव आयोग ने उध्दव ठाकरे गुट ‘शिवसेना उध्दव बालासाहेब ठाकरे ‘ नाम और ”मशाल ” चुनाव चिन्ह रखने का आदेश दिया।
चुनाव आयोग ने चुनाव चिन्ह (रिजर्वेशन एंड ऑलटमेट ) ऑडर 1968 के आधार पर फैसला लिया है चुनाव आयोग पूरी तरह स्वतंत्र है यह फैसला लेने के लिए की चुनाव चिन्ह किसे मिलेगा। एकनाथ शिंदे गट ने ने ये दवा किया की उध्दव ठाकरे गुट अपने उद्देश्यों से विचलित हो गए है , इसलिए वो अपना निर्णय लेने में असफल हो रहे है वो किसी भी विचारधारा वाले पार्टियों से गठबंधन करने लगे है ,जिससे पार्टी में निराशा और असहमति का कारण बन गया है।
कैसे किया था एकनाथ शिंदे ने तख्तापलट –
जून 2022 में एकनाथ शिंदे के बगावत के बाद उध्दव ठाकरे के नेतृत्व वाली एमवीए सरकार गिर गई थी। शिंदे के साथ जितने विधायक थे सभी को लेकर शिंदे गुहाटी चले गए। शिंदे के बगावत के बाद उध्दव ठाकरे को पार्टी से इस्तीफा देना पड़ा, उसके बाद एकनाथ शिंदे ने बीजेपी के साथ गठबंधन वाली सरकार बनाई और खुद मुख्यमंत्री बने थे। उसके बाद शिवसेना के नाम और चुनाव चिन्ह के लिए एकनाथ शिंदे गुट और उध्दव ठाकरे गुट की आपसे में लड़ रहे थे, फिर ये मामला सुप्रीम कोर्ट पंहुचा जहा दोनों गुटों ने अपनी अपनी बात रखी।
उद्धव ठाकरे शिंदे ने कहा की शिवसेना के असली हकदार वो है ,जबकि एकनाथ शिंदे ने कहा कि पार्टी विधायकों में सबसे ज्यादा समर्थन उनको प्राप्त है इसलिए वही शिवसेना के असली हकदार है। चुनाव आयोग ने विचार करके अपना फैसला सुनाया ,चुनाव आयोग ने कहा कि शिंदे गुट के पास 40 विधायकों का समर्थन है। जबकि ठाकरे गुट के पास सिर्फ 15 विधायक है।
फैसले के बाद दोनों गुटों की प्रतिक्रिया –
चुनाव आयोग का फैसला सुनते ही इस मामले में सबकी अपनी अपनी प्रतिक्रिया सामने आने लगी। उध्दव ठाकरे ने चुनाव आयोग के इस फैसले को बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण बताया है ,उन्होंने कहा ,”मैंने चुनाव आयोग से कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने तक रुकना चाहिए ,मगर ऐसा नहीं हुआ ,आगे भविष्य में कोई भी विधायकों या सांसदों को खरीदकर मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री बन जाता है ”,उध्दव ठाकरे ने कहा कि चुनाव आयोग का ये फैसला बहुत ही जातक है।
वही एकनाथ शिंदे ने कहा कि ,”मैं चुनाव आयोग को धन्यवाद देता हु ,लोकतंत्र में मायने रखता है ,यह शिवसेना संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत की जीत है ,हमारी असली शिवसेना ”.चुनाव आयोग के इस फैसले पर शिंदे ने खुशी जताई।
महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस बोलें ,” CM एकनाथ शिंदे की शिवसेना को शिवसेना का चिन्ह और नाम मिला है ,असली शिवसेना एकनाथ शिंदे की शिवसेना बनी है, हम पहले दिन से आश्वस्त थे ,क्योकि चुनाव आयोग के अलग पार्टियों के बारे में इसके पहले के निर्णय देखे तो इसी प्रकार का निर्णय आये है। ”
चुनाव आयोग के फैसले पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट किया -”इसकी स्क्रिप पहले से ही तैयार थी ,देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है ,कहा गया था की नतीजा हमारे पक्ष में होगा ,लेकिन अब एक चमत्कार हो गया है ,लड़ते रहो ऊपर से नीचे तक करोड़ों रुपया पानी की तरह भय है ,हमें फिक्र करने की जरुरत नहीं है ,क्योकि जनता हमारे साथ है हम जनता दरबार में नया चिन्ह लेकर जायेंगे और फिर शिवसेना खड़ी कर के दिखाएंगे ,ये लोकतंत्र की हत्या है।
संजय राउत ने कहा कि चुनाव आयोग बीजेपी के एजेंट की तरह काम कर रहा है ,उन्होंने ये भी कहा की कानूनी लड़ाई अभी बाकि है ,हम जनता के न्यायालय में न्याय की गुहार लगाएंगे।
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