पूर्व सांसद और बाहुबली आनंद मोहन 14 साल बाद आज (27 मार्च ) सुबह चार बजे जेल से रिहा हो गए। लेकिन बिहार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कानून बदलकर वोट पाने का तरीका अपनाते रहे है।डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के दबाव में आजकल नीतीश कुमार जात के दलदल में फसते जा रहे है। लक्ष्य है 2024 लोकसभा का चुनाव ,किसी तरह का नए समीकरण बनाने की चुनौती है ,चाहे इसके लिए कानून क्यों न बदलना पड़े , और बाहुबली आनंद मोहन के लिए यही सब किया जा रहा है।
आनंद मोहन अपने बेटे की सगाई में पैरोल पर आये थे बाहर –
आनंद मोहन अपने बेटे और आरजेडी विधायक चेतन आनंद की सगाई पर 15 दिनों की पैरोल पर बाहर आए थे, उसके बाद 26 अप्रैल को सहरसा जेल में सरेंडर किया. आज (27 मार्च ) सुबह 4 बजे के आस – पास रिहाई हो गई. इसको लेकर यह माना जा रहा है कि समर्थकों का जमावड़ा लगता, उनका स्वागत किया जाता, मीडियाकर्मी कई सवाल पूछते, इन सबसे से बचने के लिए ऐसा किया गया है.
नीतीश कुमार ने रैली में किया था जेल से निकालने का एलान –
बिहार जेल मैनुअल 2012 की धारा 48 (1 ) में साफ लिखा है कि सरकारी नौकरो की हत्या के आरोपी के आजीवन कारावास में किसी तरह का छूट नहीं दिया जायेगा ,लेकिन इसे नीतीश सरकार भुलाकर अब ऐसा कर रही है। नीतीश कुमार ने 2023 में एक रैली में ऐलान किया था कि वो आनंद मोहन को जल्दी जेल से बाहर निकालने का जुगाड़ भिड़ा रहे है। कानून बदलकर वोट हासिल करने का तरीका नीतीश अपनाते रहे हैं। उन्होंने ये भी कानून बनाया कि अगर दलितों की हत्या होती है तो उनके परिवार के सदस्य को नौकरी दी जाएगी। इससे हत्याएं और बढ़ गईं। आंकड़े देख लीजिएगा। शराबबंदी कानून इसलिए बना कि आधी आबादी बिना जात-पात देखे उनको वोट करे।