थायराइड की बीमारी एक ऐसी समस्या बन चुकी है जो लगातार बढ़ती जा रही है। इस बीमारी से केवल भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लोग परेशान हैं। थायराइड एक ऐसी बीमारी है जो ज्यादातर महिलाओं में पाया जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार पुरूषों के मुकाबले महिलाओं में थायराइड की समस्या 10 गुना अधिक होता है। तनाव के कारण हाइपोथायरायडिज्म की समस्या हो सकती है। थायराइड का स्तर बढ़ने पर कई स्वास्थ्य संबंधित जटिलताएं हो सकती हैं। योग गुरुओं के अनुसार थायराइड को प्राणायाम व योग के माध्यम से जड़ से आसानी से दूर किया जा सकता है।
क्या है थायराइड
गले में स्थित एक ग्रंथि का नाम थायराइड है। यह ग्रंथि गले के आगे के हिस्से में होता है। इसका आकार एक तितली जैसा होता है। ये ग्रंथि शरीर के लिए काफी लाभदायक होता है। जब ये असंतुलित हो जाता है तब थायराइड की बीमारी होती है। ये बीमारी दो तरह का होता है एक थायराइड व दूसरा हाइपो थायराइड।
क्या है थायराइड के लक्षण
थायराइड के लक्षण। गले में सूजन का होना, बालों का तेजी से झड़ना, हृदय गति बढ़ना, पसीना ज्यादा आना, दिल की धड़कन तेज होना, घबराहट होना, नींद न आना, चिड़चिड़ापन होना, मांसपेशियों में कमजोरी एवं दर्द रहना आदि।
ये योगसान है लाभदायक
कपालभाति – योग विशेषज्ञ के अनुसार कपालभाति करने से शरीर में इम्यूनिटी बढ़ता है। इसके साथ ही शरीर से अशुद्ध् तत्व बाहर निकल जाते हैं। इससे थायराइड से छुटकारा मिलता है।
अनुलोम-विलोम – अनुलोम-विलोम करने के लिए सबसे पहले पद्माशन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं हाथ की अनामिका और सबसे छोटी अंगुली को मिलाकर बाएं नाक पर रखें और अंगूठे को दाएं नाक पर लगा लें। तर्जनी और मध्यमा को मिलाकर मोड़ लें। अब बाएं नाक की ओर से सांस भरें और उसे दाएं नाक से अंगूठे को हटाकर सांस को बाहर निकाल दें। इस आसन का 15 मिनट से लेकर आधा घंटा तक करें। इससे थायराइड में लाभ होगा।
भ्रस्त्रिका – इस प्राणायाम को तीन तरह से किया जाता है। पहले पांच सेकेंड में सांस लें और पांच सेंकेंड में सांस छोड़ें। दूसरे में ढाई सेकेंड सांस लें और ढाई सेकेंड में छोड़ें। तीसरा तेजी से सांस लें और छोड़ें। इस प्राणायाम को लगातार पांच मिनट करें। इस आसन को रोजाना 5-10 मिनट तक करें।
सिंहासन – इस आसन को थायराइड के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इस आसन को करने के लिए दोनों पैरों को सामने की ओर फैलाकर बैठ जाएं। अब अपने दाएं पैर को मोड़ें और उसे बाएं पैर की जांघ पर रख लें और बाएं पैर को मोड़ें और उसे दाएं पैर की जांघ पर रख लें। इसके बाद आगे की ओर झुक जाएं। दोनों घुटनों के बल होते हुए अपने हाथों को सीधा कर फर्श पर रख लें। इसके बाद अपने शरीर के उपर के हिस्से को आगे की ओर खीचें। अपने मुंह को खोलें और जीभ को मुंह से बाहर की ओर निकालें। नाक से सांस लेते हुए मुंह से आवाज करें। इसे रोजाना 7-11 बार करें।
उज्जायी – इस आसन में गले से सांस अंदर भरकर ऊं का उच्चारण किया जाता है। इससे थायराइड को काफी लाभ मिलता है। इस आसान नियमति रूप से 7-11 बार करना चाहिए।
शीर्षासन – रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है कार्य क्षमता को बढ़ाता है दिमाग में ब्लड सर्कुलेट करता है। पिट्यूटरी और पीनियल ग्रंथियों का स्राव को नियमति करता है।
सूर्य नमस्कार – इसके करने से पूरे शरीर एनर्जी से भरा रहता है। इसके साथ ही हृदय, फेफड़ा, किडनी को स्वस्थ्य रखने में सहायक तो होता ही है, साथ में थायराइड से छुटकारा भी दिलाता है।