कपिल शर्मा को तो वैसे लोग कॉमेडियन के तौर जानते है लेकिन फिल्म zwigato में इसके विपरीत काम किया है ,इस फिल्म में ज्विगाटो में डेलिवरी बॉय बनकर एक गंभीर किरदार को सिल्वर स्क्रीन पर प्ले कर रहे इसे देखकर उनके फैंस को कुछ अलग अवतार देखने को मिलेगा। अब ये फिल्म सिनेमा घरों में आ गई है आइये जानते है फिल्म कैसी है ?
ज्विगाटो की कहानी क्या है ?
मानस सिंह महतो (कपिल शर्मा ) झारखंड से ओडिशा काम करने के लिए आया है उसके परिवार में पत्नी दो बच्चे और एक बूढ़ी बीमार माँ है। पहले घड़ी की फैक्ट्री में मैनेजर था , कोरोना के कहर में उसका काम छीन जाता है ,अब वो zwigato नाम के फूड डिलीवरी कम्पनी में काम करता है। मानस की पत्नी प्रतिमा (शाहना गोस्वामी ) घर खर्च में पति का हाथ बटाने के लिए एक छोटे से बॉडी मसाज सॉप में काम करती है।
मानस एक अच्छी रेटिंग पाने के लिए बहुत संघर्ष करता है , ऊंची इमारतों बसों से लेकर मंदिर तक में फ़ूड डिलीवर करता है। कोरोना के बाद भी एक लोअर क्लास फैमली कितना संघर्ष झेल रही है ये साफ तौर पर फिल्म में दिखाई देता है। मानस इतनी मेहनत करता है कि वो चाहता है की एक दिन में वो 10 डिलीवरी करके अपना टारगेट कम्प्लीट करे। मानस के जिंदगी संघर्ष पूर्ण होकर भी कैसे आगे बढ़ती है ये सारा कुछ आपको फिल्म में देखने के लिए मिलेगा।
डायलॉग कम दृश्य ज्यादा बोलने वाली फिल्म –
फिल्म zwigato में आपको वो सब कुछ देखने को मिलेगा जो सामने दिखाई देता है ,फिल्म में लोवर क्लास होने का और अपर क्लास होने का फर्क साफ दिखाई देता है जैसे फिल्म का एक दृश्य है कि एक जगह प्रतिमा अपने बच्चो को टिफिन में खाना घर बनाकर पैक कर के दे रही है वही दूसरी ओर मानस अपने बच्चे के स्कूल में प्रिंसिपल के घर फ़ूड डिलीवरी के लिए जाता है और वो खाना बच्चा टिफिन के लिए स्कूल बैग में रख लेता है , फिल्म में बहुत सारी जगह पर ऐसे दृश्यदिखाई देते है जो फिल्म में तो जरुरी नहीं लगते पर समाज में जरुरी है।
फिल्म में एक्टिंग –
कपिल शर्मा को लोग हस्ते हसाते ही देखे है लेकिन zwigato में वो अपने इमेज से हटकर एक विपरीत रोल में नाजा आएंगे ,जिसे देखकर उनके फैंस भी हैरान होने वाले हैं अब बात करते है फिल्म में कपिल शर्मा के एक्टिंग के बारे में तो उन्होंने पुरजोर कोशिश की है अपने किरदार को बेहतरीन बनाने की लेकिन पंजाब की झलक उनके झारखण्ड वाले अंदाज में थोड़ी – थोड़ी नजर आ जाती है स्क्रीन पर एफर्ट साफ नजर आता है। शाहना गोस्वामी ने अपनेकीरेदार के 100 % न्याय किया है , उन्होंने अपना किरदार बखूबी निभाया है।
नंदिता दास का बेहतरीन डायरेक्शन –
नंदिता दास के डायरेक्शन में बनी फिल्म की कोशिश यही होती है कि उस फिल्म के जरिये परदे पर समाज की सच्चाई को दिखाई जाये , नंदिता दास ने zwigato के माध्यम से समाज के बेरोजगारी जैसे मुद्दे को दिखने की कोशिश की है ,बेरोजगारी की मार आजकल देश की आम जनता झेल रही है इस फिल्म के जरिए उच्च – नीच का फर्क साफ दिखाई देता है। फिल्म में एक सो कॉल्ड हाई क्लास की लड़की प्रतिमा से मसाज के लिए इसलिए मना कर देती है वो उसको अनप्रोफेशनल (गरीब ) लगती है। फिल्म के डायलॉग भी दिल पर लगने वाले है ”हम मजबूर है इसलिए मजदूर है ” मानस का ये डायलॉग समाज के बेरोजगार लोगों के बेबसी को दर्शाता है। फिल्म लोगों को लुभाने के लिए नहीं बनी बल्कि फिल्म एक मुद्दे और उससे पैदा हुए सिचुवेशन पर फोकस करती है।