आरबीआई यानी भारती रिजर्व बैंक भारत की बैंकिंग में काफी बड़ा योगदान देता है हम आरबीआई के फंक्शन्स के साथ-साथ आर बी के बारे में अच्छे से जानते हैं आरबीआई के काम फंक्शन्स को जाने से पहले हम आप को बताते हैं आरबीआई भारत कब आया यानी उसकी स्थापना कब हुई और तब से लेकर आज तक भारत मी किस प्रकार आरबीआई भरत के लिए काम करता रहा भारतीय रिजर्व बैंक विदेश की मुद्रा को खरीददारी और बेचता है और देश का जो विदेशी मुद्रा भंडार है उसकी सुरक्षा करता है
भारत में आरबीआई रिजर्व बैंक अधिनियम के हिशब से आरबीआई की स्थापना सन 1935 को हुई थीऔर टैब से लेकर आज ताज आरबीआई काफी मददगार शबित हुआ है 1 जनवरी 1949 से आरबीआई सरकार के लिए काम करता है
आरबीआई के काम फंक्शन्स को जाने से पहले हम आप को बताते हैं आरबीआई भारत कब आया यानी उसकी स्थापना कब हुई और तब से लेकर आज तक भारत मी किस प्रकार आरबीआई भरत के लिए काम करता रहा
भारत में आरबीआई रिजर्व बैंक अधिनियम के हिशब से आरबीआई की स्थापना सन 1935 को हुई थी और तब से लेकर आज तक आरबीआई काफी मददगार शबित हुआ है
आरबीआई के क्या क्या फंक्शन होते हैं
नोट जारी करना:
सब से जरूरी कार्य होता ही मुद्रा को काम पे लाना भारतीय रिजर्व बैंक 2 , 5 , 10 , 50 , 100 , 500 , 1000 रुपये का निर्गमन आरबीआई ही करता है
क्रेडिट नियंत्रण करना
दुसरा काम जो आरबीआई को ध्यान रखना होता है वो है क्रेडिट पर कंट्रोल रखना आरबीआई सरकार का बैंकर होता
आरबीआई भारत सरकार का सालकार और अयजेंट के रूप में क्यार करना भी होता है
राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार के सभी बैंकिंग के काम आरबीआई की ही जिमदारी होती है आर्थिक नेति से संबती मामलाओ पर भी सरकार को उप्योगी सलाह देती है। का प्रबंधन भी करता है।
बैंको का बैंक
जिस प्रकार और बैंक अपने कॉस्ट्यूमर के साथ उसी प्रकार काम करता है जिस प्रकार और बैंक अपने कॉस्ट्यूमर्स के साथ ट्रीट करते हैं
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया सभी और बैंक को लोन भी देता है तो लोन देता ही 1 काफी मापन कम हो जाता है
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया बैंक-दर नीति (Bank Rate Policy), खुले बाजार की क्रियाओं , नकद केषानुपात (Variable Reserve Ratio or Cash Reserve Ratio) चयनित साख नियंत्रण (Selective Credit Control) तथा नैतिक दबाव (Moral Pressure) आदि विभिन्न उपायों द्वारा साख का नियमन करता है
तथा ‘स्थिरता के साख विकास’ (Growth with Stability) के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहयोग देता है ।
क्रेडिट का नियंत्रक: भारतीय रिजर्व बैंक वाणिज्यिक बैंकों द्वारा उत्सर्जित क्रेडिट को नियंत्रित करने की जिम्मेदारी लेता हैl इस उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए यह देश में प्रभावी रूप से ऋण को नियंत्रित करने और विनियमन करने के लिए मात्रात्मक और गुणात्मक तकनीकों का व्यापक उपयोग करता हैl जब भारतीय रिजर्व बैंक देखता है कि अर्थव्यवस्था में पर्याप्त धन आपूर्ति है
और इससे देश में मुद्रास्फीति की स्थिति पैदा हो सकती है तो वह अपने कड़े मौद्रिक नीति के माध्यम से बाजार में पैसे की आपूर्ति में कमी करता है और जब अर्थव्यवस्था में धन की आपूर्ति में कमी हो जाती है तो वह बाजार में पैसे की आपूर्ति को बढ़ा देता हैl
विदेशी मुद्रा भंडार का संरक्षक:
भारतीय रिजर्व बैंक विदेश की मुद्रा को खरीददारी और बेचता है और देश का जो विदेशी मुद्रा भंडार है उसकी सुरक्षा करता है
भारतीय रिजर्व बैंक
आज की बबत केरे से भारत का फॉरिजन एक्सचेंज रिजर्व 360 बिलियन का पास है रिजर्व बैंक इस बाजार में विदेशी मुद्रा बेचता है जिससे कि इसकी आप घटती जा रही है और जब विमेरिकी है
भारतीय रिजर्व बैंक में नया विभाग
यह नया विभाग भविष्य में लोन प्रबंधन और संबद्ध परिचालन की गतिविधियों को अलग करेगा। यह विभाग मुद्रा बाजार के उपकरण के विकास और निगरानी का कार्य करेगा और सरकारी प्रतिभूति और विदेशी मुद्रा बाजार की निगरानी भी करेगा।
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