संयुक्त राष्ट्र संघ का इतिहास


संयुक्त राष्ट्र संघ एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है। जिसका निर्माण अंतराष्ट्रीय कानून को सुविधाजनक बनाने के लिए ,अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा का बनाये रखने के लिए ,आर्थिक विकास ,समाजिक प्रगति ,मानव अधिकार और विश्व शान्ति के लिए कार्य करती है।

राष्ट्र संघ जब असफल हो गया तो एक नए संगठन की स्थापना का विचार को जन्म दिया ,जो अंतराष्ट्रीय व्यवस्था को मजबूत और न्यायपरक बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सके।

इतिहास-

अंतराष्ट्रीय व्यवस्था को और अधिक मजबूत बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ का विचार द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आया जिसमें 5 राष्ट्र मंडल सदस्य तथा 8 यूरोपीय सरकार द्वारा निर्वाचित12 जून 1941 को लन्दन में हस्ताक्षरित अंतर -मैत्री उद्धोषणा में पहली बार सबके सामने रखा गया किये गए इस उद्धोषणा में एक स्वतंत्र विश्व निर्माण के लिए कार्य करने का वादा किया गया जिसमें लोग शांति और सुरक्षा के साथ रह सके।
द्वितीय विश्व युद्ध जब समाप्त हो गया और जो जो देश युद्ध में विजय हुए थे उन देशों ने मिलकर संयुक्त राष्ट्र को अंतरराष्ट्रीय संघर्ष में हस्तक्षेप करने के उद्देश्य से स्थापित किया था , वे चाहते थे की जैसी युद्ध हुआ है भविष्य में कभी ऐसे तृतीय विश्वयुद्ध की स्तिथि ना बने।

संयुक्त राष्ट्र संघ

प्रथम विश्वयुद्ध-

1914 में प्रथम विस्वयुद्ध शुरू हो गया ,उस विश्व युद्ध से सारी दुनिया की अर्थव्यवस्था ,समाजिक व्यवस्था ,व्यापर सब कुछ प्रभावित हो गया ,प्रथम विश्व युद्ध समाप्त हुआ 1918 अंत में जिसको 1919 के वर्षाई के संधि के साथ समाप्त किया गया , राष्ट्र संघ का ऑफिस जनेवा में बनाया गया था ,

उस समय अमेरिका के राष्ट्रपति वडुरो विल्सन थे , उन्होंने विचार किया और कहा की क्यों ना हमलोग एक ऑर्गेनाइजेशन बनाये ,जोऑर्गेनाइजेशन द्वितीय विश्व युद्ध को होने ही ना दे उन्होंने राष्ट्र संघ की स्थापना 10 जनवरी 1920 को अमेरिकी राष्ट्रपति वडुरो विल्सन ने किया।

इस संघ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य था द्वितीय विश्व युद्ध को रोकने के साथ साथ ये पूरी दुनिया के स्वस्थ्य का ध्यान रखना ,व्यापर को बढ़ावा देना ताकि आपसी तालमेल बना रहे जिससे युद्ध की सम्भावना ना पैदा हो ,मजदूरों के स्थिति का भी ध्यान में रखता था, इतना सब कुछ के वावजूद राष्ट्र संघ असफल हो गया था।

द्वितीय विश्व युद्ध –

1939 से 1945 तक द्वितीय विश्व युद्ध चला। राष्ट्र संघ के स्थापना का मुख्य था द्वितीय विश्व युद्ध को रोकना पर वो ऐसा नहीं कर पाया और पूरी तरह से असफल रहा। द्वितीय विश्व युद्ध के समय अमेरिका के राष्ट्रपति थे रउजबेल्ट ,उन्होंने कहा कि राष्ट्र संघ में सुधार करेंगे और उन्होंने सुधार करके नाम दिया संयुक्त राष्ट्र संघ।

संयुक्त राष्ट्र संघ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य यह है की वो तृतीया विश्व युद्ध को न होने दे और विश्व में शांति और सुरक्षा का निर्माण करे।

संयुक्त राष्ट्र संघ के अंग-

महासभा –संयुक्त राष्ट्र संघ महासभा की बैठक प्रत्येक साल सितम्बर में होती है जिसमे प्रत्येक देश के शासनाध्यक्ष को जाना होता है ,इसे विश्व का लघु संसद भी कहते है क्योंकि इसमें पूरी दुनिया के शासनाध्यक्ष भाग लेते है। इसके अध्यक्ष केवल एक साल के लिए बनाये जाते है ,पहली अध्यक्ष महिला विजयलक्ष्मी पंडित थी जो भारत की थी।

न्यास -संयुक्त राष्ट्र संघ न्यास एक बहुत बड़ी संगठन है तो इसमें खर्च भी आएगा उन खर्चो को कौन देगा इसलिए कुछ देशो का एक संगठन बना उसी का नाम है न्यास जो संयुक्त राष्ट्र संघ का टोटल खर्चा उठता है ,भारत UNO को खर्च के लिए लगभग 1 % ही दे पाता है।

अंतरराष्ट्रीय न्यायलय-संयुक्त राष्ट्र संघ का अंतराष्ट्रीय न्यायलय नीदरलैंड के हग में है ,जिसमे 15 जज है और 1 जज का कार्यकाल 9 साल का होता है ,वर्तमान समय में दलवीर भंडारी संयुक्त राष्ट्र संघ के अंतराष्ट्रीय न्यायलय में एक जज के रूप में कार्यरत है इन्होने ब्रिटेन के जज को हराकर अपनी दावेदारी हासिल किये थे।

सचिवालय –जैसा की सबको पता है अपने देश के सारे काम सचिवालय में ही सम्पन्न होता है ,संयुक्त राष्ट्र संघ का भी सारा काम सचिवालय में ही होता है। सचिवालय महासचिव के अधीन होता हैं ,महासचिव का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है.

सामाजिक एंव आर्थिक परिषद-इसका मुख्य कार्य है की पुरे विश्व से समाजिक भेदभाव को ख़त्म करना ,इसलिए एक सामाजिक एंव आर्थिक परिषद अंतराष्ट्रीय मजदुर संगठन का गठन किया गया जो पूरी दुनिया के मजदूरों की जांच करता है जिससे ये पता चलता है की किस भिन्न भिन्न देशो में मजदूरों की स्थिति कैसी है।

सुरक्षा परिषद-सुरक्षा परिषद को पूरे विश्व का पुलिस कहा जाता है ,इसमें टोटल 15 सदस्य आते है 10 सदस्य अस्थाई होते है ,जबकि 5 सदस्य स्थाई होते है, जो 10 सदस्य उनका कार्यकाल दो साल का होता है वही जो 5 सदस्य होते है उनका कार्यकाल अस्थाई होता है।

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