प्रयागराज समेत उत्तर भारत के कई जिलों में सूरज के चारों तरफ नजर आया गोला कब और क्यों बनता है?

प्रयागराज समेत उत्तर भारत के कई जिलों में सूरज के चारों तरफ एक प्रकाशमय गोला दिखाई दिया. इसे देखकर सब हैरान थे ,यह नजारा बिल्कुल अद्भुत था , लेकिन ये क्यों हुआ था ,साइंस की भाषा में इसे क्या कहा जाता है?

सूरज के चारों तरफ एक प्रकाशमय गोला क्यों बनता है ?

जिन लोगो को साइंस नहीं पता उन्हें सूर्य के चारों तरफ एक प्रकाशमय गोला का बनना किसी चमत्कार से काम नहीं लगता ,प्रयागराज समेत उत्तर भारत के कई जिलों में जब लोगों ने आसमान में सूर्य के चारों तरफ एक प्रकाशमय गोलाकार नजर आये और ये देखने में बहुत अद्भुत भी लग रहा था। लेकिन इसे साइंस के भाषा में सोलर हालो या फिर सन रिंग भी कहते हैं. दरअसल ये एक खगोलीय परिघटना है।
महान खगोलीय विशेषज्ञों का मानना है कि यह खगोलीय परिघटना वातावरण में मौजूद हेक्सागोनल क्रिस्टल के कारण होता है। इसमें होता ये है की वातावरण में मौजूद पानी की बूंदों पर प्रकाश पड़ता है तो उसके विकिरण के कारण यह घटना घटती है. कई बार इस गोले में इंद्रधनुष की तरह कई रंग भी दिखाई देते हैं.
यह घटना सिर्फ सूर्य के साथ नहीं बल्कि चांद के साथ भी ऐसा होता है और इसे हालो ऑफ मून कहा जाता है. कुछ लोग इसे मून रिंग भी कहते हैं. 20 फरवरी 2016 में चांद के साथ ऐसा हुआ था.

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा सोलर हालो-

आसमान में अनोखा नजारा देखकर लोग इतने उत्साहित हो गए की अपने कैमरे में कैद करके सोशल मीडिया पर साझा करने लगे और देखते -देखते ही वो वायरल हो रहा है। लोगों ने इसकी तस्वीरें लेकर और सोशल मीडिया पर जमकर शेयर करने लगे।

भगवान की तस्वीरों के पीछे भी होता है होलो –

सबसे पहले हम जानते है कि होलो किसे कहते है ,जिसका आध्यात्म में भी इस जिक्र हुआ है ? जब किसी प्रकाशमय या एनर्जी से लबरेज चीज के चारों ओर गोलाकार आकृति बन जाए तो उसे हालो कहते हैं. आपने कई भगवान की तस्वीरों में देखा होगा कि उनके सिर के पीछे एक चमकदार गोलाकार आकृति दिखती है, उसे भी हालो ही कहा जाता है.

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