बीमा स्कीम को लेकर कर फिर बढ़ा कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद

बीमा स्कीम को लेकर कर फिर बढ़ा कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद

कर्नाटक मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने राज्य की सीमा के पास कर्नाटक के गांवों में स्वास्थ्य बीमा योजना लागू करने के महाराष्ट्र सरकार के फैसले पर कड़ी निंदा करते हुए इसे अक्षम्य अपराध करार दिया।बोम्मई ने इसे गृह मंत्री के सामने हुए समझौते का उल्लंघन बताया और कहा कि इस मुद्दे को वह गृह मंत्री अमित शाह के सामने उठाएंगे।

महाराष्ट्र ने सीमावर्ती गांवों के लिए मेडिकल बीमा योजना लागू करने की घोषणा की है. इस फैसले पर कर्नाटक में राजनीतिक भूचाल आया हुआ है। कर्नाटक के 865 सीमावर्ती गांवों में महाराष्ट्र सरकार की ओर से अपनी स्वास्थ्य बीमा योजना को लागू करने के फैसले की कड़ी निंदा करते हुए सीएम बसवराज बोम्मई ने इसे ‘अक्षम्य अपराध’ करार दिया। उन्होंने कहा कि वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिल इस मुद्दे को उठाएंगे।

बीमा स्कीम को लेकर कर फिर बढ़ा कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद

बता दें कि 16 मार्च को मीडिया से बात करते हुए कर्नाटक सीएम बोम्मई ने कहा, “मैं महाराष्ट्र सरकार की ओर से हमारे गांव में की गईं स्वास्थ्य बीमा योजनाओं की घोषणाओं की कड़ी निंदा करता हूं. यह उस समझौते का उल्लंघन करता है, जिस पर हम अमित शाह की उपस्थिति में पहुंचे थे।

क्या है सीमा विवाद

पिछले साल के दिसंबर में केंद्रीय गृह मंत्री ने महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच सीमा तनाव को कम करने के लिए दखल दिया था। उन्होंने दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच एक बैठक बुलाई थी और बाद में कहा कि दोनों इस बात पर सहमत हुए हैं कि जब तक उच्चतम न्यायालय इस मामले पर फैसला नहीं कर लेता, तब तक वे सीमा मुद्दे पर कोई दावा या प्रतिदावा नहीं करेंगे।

बीमा स्कीम को लेकर कर फिर बढ़ा कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा विवाद

महाराष्ट्र मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली महाराष्ट्र सरकार ने फैसला किया है कि वह महात्मा ज्योतिबा फुले जन आरोग्य योजना के लिए अतिरिक्त 54 करोड़ रुपये आवंटित करेगी। राशि से योजना को कर्नाटक में स्थित 865 सीमावर्ती गांवों में लागू किया जाएगा। इन गांवों में मराठी बोलने वाली आबादी रहती है और महाराष्ट्र इस पर अपना दावा करता रहा है।महाराष्ट्र सरकार की बीमा योजना के बाद एक बार फिर यह मुद्दा गर्म हो गया है।

कर्नाटक सीएम ने कहा कि सीमावर्ती जिलों जठ और सोलापुर में कई तालुक और ग्राम पंचायतों ने कर्नाटक में शामिल होने का प्रस्ताव पारित किया था, क्योंकि उन्हें महाराष्ट्र में न्याय नहीं मिल रहा था। ऐसे में मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार को जिम्मेदारी से व्यवहार करना चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *