शालीग्राम को लेकर आयोध्या में नया विवाद :- शालीग्राम को लेकर आयोध्या नगरी के लोग जहाँ बेहद उत्साह में है वही दूसरी तरफ इसको लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है, तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर महंत परमहंस ने कहा है की अगर शालीग्राम शीला पर छेनी हथौड़ी चली तो वो अन्न और जल का त्याग कर देंगे।
तपस्वी छावनी के पीठाधीश्वर महंत परमहंस ने कहा कि ” शालीग्राम में भगवान स्वयं प्रतिष्ठित है, उनमे प्राण प्रतिष्ठा की जरूरत नही पड़ती है, अगर भगवान उसमे प्रतिष्ठित है तो कोई उनके उपर हथौड़ी चलाएं छेनी चलाएं , इससे बड़ा अनर्थ हो जायेगा, इसलिए राम जन्मभूमि ट्रस्ट के सभी ट्रस्टियों से और सभी लोगों मेरा करवद्ध निवेदन है की ऐसा अनर्थ ना करे, शालीग्राम को हमलोग इसी रूप में पूजेंगे, दुनिया के सभी लोग पूजेंगे, अगर छिनी, हथौड़ी भगवान के उपर चली तो मैं अन्न जल का परित्याग करके जीवन को त्याग दूँगा।शालीग्राम को लेकर आयोध्या में नया विवाद छिड़ गया है|
नेपाल से आया शालीग्राम पहुँची आयोध्या :-
नेपाल के जनक पूर से चलकर शालीग्राम शीला बुधवार की देर रात रामनगरी में पहुँची । नेपाल के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल जनकपुर से आयोध्या लाई गई देवशीला का पूजन अर्चन किया गया। वैदिक रीति रिवाज से शालीग्राम शीला का पूजन अर्चन के बाद श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के ट्रस्ट को सौंप दी गई । भगवान विष्णु का स्वरुप माने जाने वाली शालिग्राम शिला का अयोध्या नगरी में पुरे उत्साह के स्वागत और अभिनन्दन किया गया। श्री रामजन्म भूमि के ट्रस्ट के महासचिव श्री चंपत राय अन्य ट्रस्टजन सहित भाजपा नेताओं ने मिलकर शालिग्राम शिला पर पुष्प वर्षा के साथ आतिशबाजी भी की।
आज संत करेंगे पूजन, सीएम योगी भी हो सकते है सामिल-
आज गुरुवार को शालिग्राम शिलाओं का अयोध्या के रामसेवक पुरम मे संत पूजन अर्चन कर शालिग्राम शिला को मंदिर को भेंट करेंगे। शालिग्राम शिलाओं का पूजन करने लिए काम से काम अयोध्या के 100 महंतो को आमंत्रित किया गया है। शालिग्राम शिला के पूजन करने के लिए सीएम आदित्यनाथ भी सम्मिलित हो सकते है।
राममंदिर को लेकर पुरा देश उत्साहित-
राममंदिर बनने को लेकर सब भारत के लोगों के साथ साथ पुरा विश्व उत्साहित है, जनकपुर के मेयर मनोज कुमार शाह ने पहले ही कह दिया है की रामलला की धनुष नेपाल से आयेगी, पहले ही ६हजार करोड़ पहले की शालिग्राम शिला नेपाल से भारत आई है जिससे भगवान राम और माँ जानकी की मूर्ति स्थापित होगी।
शिला यात्रा के साथ आये जनकपुर के मेयर मनोज कुमार शाह ने कहा ” शालीग्राम शिला से द्वापर से त्रेता का सम्बन्ध कलयुग में और प्रगाढ़ हो रहा है, वो नेपाल व भारत सरकार से जनक अयोध्या के बीच एक रेल सेवा भी शुरू करने की मांग की जिससे पर्यटन को बढ़ावा मिले।
शालीग्राम पत्थरों की मान्यता :-
अयोध्या में राम मंदिर का काम तेजी से चल रहा है, भव्य मंदिर में भगवान राम की मूर्ति और माता जानकी की मूर्ति शालिग्राम शिला से तैयार की जायेगी। शालीग्राम को शास्त्रो के मुताबिक यह मान्यता है की, शालीग्राम में भगवान विष्णु का वास होता है, पौराणिक ग्रंथों में माता तुलसी और भगवान शालिग्राम ( विष्णु) का जिक्र किया गया है।
इसलिए लिए इन शिलावो को बहुत ही खास माना गया है , इन शिलाखंडों का बहुत महत्व है, क्योकि इसका संबंध भगवान विष्णु से है । भगवान राम की मूर्ति बनाने के लिए जो शालिग्राम शिलाखंड लाया गया है उन दो शिलाखंडों का कुल वजन 127 क्विंटल है , इन शालिग्राम को पत्थरों को नेपाल की गंडकी नदी से 2 फरवरी को आयोध्या नगरी लाया गया है। इन पत्थरों की सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की शालिग्राम के पत्थर ज्यादातर गंडकी नदी मे ही पाए जाते है।
मान्यता है की शालिग्राम शिला 33 तरीके के होते है, शालिग्राम का पत्थरों को भगवान विष्णु के 24 अवतारों से जोड़ा जाता है, जिस घर में शालिग्राम के पत्थरों की पूजा होती उस घर में सुख चैन बना रहता है और आपसी प्रेम बना रहता है, साथ ही लक्ष्मी माता की कृपा भी बनी रहती है ।
पद्माभूषण शिल्पकार को रामलला की मूर्ति बनाने की जिम्मेदारी-
जानकारी के मुताबिक अयोध्या में भगवन राम और माँ जानकी की मूर्ति, ‘प्रख्यात चित्रकार वशुदेव कामत के अलावा रामलला की मूर्ति बनाने में पद्माभूषण शिल्पकार रामवनजी सुथार को जिम्मेदारी दी गई है, राम सुथार ने ‘स्टेच्यु ऑफ यूनिटी’ का भी शिल्प तैयार किया है। अयोध्या में लता मंगेशकर को श्रद्धांजलि के रूप में वीणा को स्थापित किया गया है, उस वीणा को राम सुथार और उनके बेटे अनिल राम सुथार ने तैयार किया है।
वही मूर्ति बनाने के पहले चरण की जिम्मेदारी सम्भालने वाले चित्रकार वासुदेव कामथ अन्तराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार है जिन्हे स्केच और पोर्ट्रेट बनाने में प्रसिद्धि प्राप्त है। मूर्तिकार पद्माविभूषण सुदर्शन साहू, पुरातत्ववेता मनइया वडीगे वडीगेर तकनिकी विशेषज्ञ और मंदिर बनाने वाले वास्तुकार भी मूर्ति बनाने में अहम भूमिका नुभाएंगे। भगवान राम की मूर्ति ऐसी बनेंगी जो वास्तु के हिसाब से हो मंदिर में वास्तु की दृष्टि से समन्वय होगा , रामनवमी के दिन भगवान राम की ललाट पर सूर्य की किरणें पड़ेंगी।
कैसी बनेंगी प्रभु श्रीराम की मूर्ति –
शालिग्राम के शिलाओ से भगवान राम की मूर्ति को तराशा जायेगा, रामलला की मूर्ति को तैयार करने के लिए विशेष मूर्तिकारों और शिल्पकरो का चयन किया गया है, रामलला की मूर्ति 5 से साढ़े 5 फीट की होगी , उनके बाल स्वरुप को दर्शाया जायेगा। मूर्ति की ऊंचाई इस तरह से तय की जायेगी की रामनवमी के दिन भगवान राम के माथे पर सूर्य की किरणें सीधे पड़े।
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