राहुल गांधी को मानहानि मामले सूरत कोर्ट से दो साल की सजा सुनाई थी। सजा को राहुल गांधी ने सूरत सेशन कोर्ट में चुनौती दी थी। कोर्ट ने राहुल गांधी के तर्को को सुनने के बाद जमानत मंजूर कर ली थी।राहुल गांधी ने अपनी दो साल की सजा को चुनौती देते हुए सोमवार ( 3 मार्च ) को सूरत सेशन कोर्ट में अपील दायर की और अपने तर्क में कहा कि ,उनके खिलाफ केवल नरेंद्र मोदी ही केस कर सकते है और कोई आपराधिक मानहानि का केस दर्ज करने का हकदार नहीं है।
किस बयान पर राहुल गांधी को मिली सजा –
राहुल गांधी साल 2019 में कर्नाटक के कोलार में लोकसभा चुनाव प्रचार में एक चुनावी सभा कर रहे थे ,उस दौरान उन्होंने जनता को सम्बोधित करते हुए कहा था कि ,” ललित मोदी ,नीरव मोदी ,नरेंद्र मोदी ,कैसे सभी चोरों के नाम में कॉमन सरनेम मोदी होते है। ” राहुल गांधी के द्वारा दिए गए इस बयानों के खिलफ बीजेपी के विधायक और गुजरात सरकार में पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज की थी , इसी मामले में सूरत की सीजेएम कोर्ट ने 23 मार्च को दो साल की सजा सुनाई थी।
सूरत सेशन कोर्ट में राहुल से सजा को दी थी चुनौती –
सूरत सेशन कोर्ट में राहुल गाँधी ने 3 अप्रैल को सजा पर रोक और जमानत की अर्जी दाखिल की थी ,अदालत ने राहुल गांधी की अपील पर सुनवाई करते हुए जमानत दे दी।
कोर्ट में राहुल गांधी की लीगल टीम ने पेश की दलील –
सूरत कोर्ट से मिली सजा को चुनौती देते हुए राहुल गांधी की लीगल टीम ने कहा कि , इस मामले में पूर्णेश मोदी पीड़ित व्यक्ति नहीं थे .पूर्णेश मोदी ने शिकायत दर्ज की कराई है उनका कोई अधिकार नहीं था , कोर्ट में इस बात पर ध्यान दिलाया गया कि आपराधिक कानून के तहत कोई भी केस कर सकता है ,लेकिन जहां तकधारा 499 और 500 के तहत आपराधिक मानहानि का संबंध है ,तो इसमें केवल पीड़ित व्यक्ति ही केस दर्ज करा सकता है ,इसलिए व्यक्तिगत रूप से श्री नरेंद्र मोदी ही केस दर्ज करा सकते है ,उनको ही पीड़ित व्यक्ति मन जायेगा ,उनके अलावा किसी और को कोई अधिकार नहीं है की उनकी ओर से शिकायत दर्ज करें। ”