शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में TMC नेता अभिषेक बनर्जी को राहत!

अभिषेक बनर्जी

पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में टीएमसी के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी को राहत मिली है।गिरफ्तार टीएमसी के युवा नेता कुंतल घोष के पत्र को लेकर अब सीबीआई अभिषेक बनर्जी से पूछताछ नहीं कर सकती है। अभिषेक के खिलाफ जांच के हाई कोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी गई है। 24 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट अभिषेक की याचिका पर सुनवाई करेगा|

13 अप्रैल को कलकत्ता हाईकोर्ट के जस्टिस अभिजीत गंगोपाध्याय का आदेश था कि जरूरत पड़ने पर ED और CBI अभिषेक से पूछताछ कर सकती हैं। हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि जांच जल्द की जाये। साथ ही बंगाल पुलिस को आदेश दिया था कि मामले की जांच कर रहे CBI-ED अफसरों पर कोई FIR ना किया जाये।

अभिषेक बनर्जी

बता दें कि अभिषेक बनर्जी ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। CJI डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने सोमवार को दोनों आदेशों पर रोक लगा दी है।अभिषेक बनर्जी ने कहा था कि एजेंसियों की कस्टडी में लोगों पर दबाव बनाया जा रहा है कि वो घोटाले में मेरा नाम ले लें। इस केस में एक अन्य आरोपी कुंतल घोष ने भी आरोप लगाया था कि उन पर अभिषेक बनर्जी का नाम लेने के लिए प्रेशर बनाया जा रहा है।

क्या है घोटाला

बंगाल में हुआ शिक्षक भर्ती घोटाला 2014 का है। तब पश्चिम बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन ने सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती निकाली। 2016 में ये प्रक्रिया शुरू हुई थी। उस वक्त पार्थ चटर्जी शिक्षा मंत्री थे। इस मामले में गड़बड़ी की कई शिकायतें कोलकाता हाईकोर्ट में दाखिल हुई थीं।

बता दें कि याचिकाकर्ताओं का आरोप था कि जिन कैंडिडेट के नंबर कम थे उन्हें मेरिट लिस्ट में टॉप पर रखा गया। कुछ कैंडिडेट का मेरिट लिस्ट में नाम न होने पर भी उन्हें नौकरी दे दी गई। ऐसे लोगों को भी नौकरी दी गई, जिन्होंने TET परीक्षा भी पास नहीं की थी।CBI ने पिछले साल 30 सितंबर को पहली चार्जशीट पेश की थी। इसमें पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी समेत 16 लोगों के नाम थे। ED ने पार्थ चटर्जी और उनकी करीबी अर्पिता मुखर्जी को गिरफ्तार किया था। पार्थ 23 जुलाई 2022 से जेल में हैं, उनकी जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं।

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