सुप्रीम कोर्ट ने सेम सेक्स मैरिज को क़ानूनी मान्यता देने के लिए छह जनवरी को समलैंगिक विवाह के देश भर के तमाम कोर्ट के मुद्दे को एक साथ जोड़कर उन्हें अपने पास ट्रांसफर करा लिया था , जिस मामले की सोमवार (13 मार्च ) को 5 जजों की संवैधानिक पीठ को सौंप दिया है ,और इसकी अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी।
समलैंगिक विवाह रजिस्ट्रेशन की मांग –
सुप्रीम कोर्ट से समलैंगिक विवाह के मान्यता के लिए लगाई गई याचिका में स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत समलैंगिक विवाह के रजिस्ट्रेशन की मांग की गई है जिसकी सुनवाई 18 अप्रैल को होगी , याचिकाकर्ताओं ने समलैंगिक विवाह की सुनवाई को लाइव टेलीकास्ट करने की मांग की है ,ताकि पुरे देश को पता चल सके की सुनवाई हो रही है।
केंद्र सरकार है समलैंगिक विवाह के विरोध –
सेम सेक्स मैरिज का केंद्र सरकार विरोध करते हुए कहा है कि यह मामला भारत के मान्यताओं के खिलाफ है ,भारतीय दंड संहिता (IPC ) की धारा 377 में इसे वैध करार दिए जाने के बावजूद , याचिकाकर्ता देश के कानूनों के तहत सेम सेक्स मैरिज के लिए वो मौलिक अधिकार का दावा नहीं कर सकते है। रविवार (12 मार्च ) को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सेम सेक्स मैरिज को क़ानूनी मान्यता देने के अनुरोध से सम्बंधित याचिकाओं का विरोध करते हुए ये कहा कि इससे व्यक्तिगत कानूनों और स्वीकार्य समाज के मूल्यों और समाजिक संतुलन प्रभावित होगा। समलैंगिक विवाह के बाद विवाहित जोड़ा बच्चा गोद लेता है तो ,उस बच्चे की मानसिक अवस्था क्या होगी ये भी कोर्ट को समझने की जरूरत है? क्योकि एक बच्चा माँ के तौर पर एक महिला को और पिता के तौर पर एक पुरुष को देखता है।