क्या है डार्क टूरिज्म? जानें क्या ये और विश्व में कहां-कहां हैं ऐसी जगहें?

डार्क टूरिज्म

पूरी दुनिया में लोगों के अलग-अलग शौक होते हैं। इसमें खाने से लेकर घूमने तक के अजीबोगरीब शौक शामिल हैं। आजकल लोग डार्क टूरिज्म के दीवाने हैं। एक जमाने में लोगों में एग्री और एटॉमिक टूरिज्म का क्रेज था।इसी तरह अब डार्क टूरिज्म भी चर्चा में है। जो पर्यटकों के लिए नया और रोमांचक है। अब पर्यटक हिल स्टेशन, रोमांचक या मनोरंजक स्थानों की बजाय डार्क टूरिज्म को प्राथमिकता दे रहे हैं।

डार्क टूरिज्म

डार्क टूरिज्म क्या है

डार्क टूरिज्म या ब्लैक टूरिज्म ऐसी जगहों पर जाने के शौक का नाम है, जहां लोगों की मौत, बुरी दुर्घटनाएं या कोई बेहद भयानक इतिहास जुड़ा हो। उदाहरण के लिए, जापान के हिरोशिमा और नागासाकी। जहां पहली बार परमाणु बम गिराए गए थे। इस घटना को अब 80 साल होने को हैं, लिहाजा यहां रेडिएशन का खतरा पहले जैसा नहीं है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इन जगहों पर हर साल करीब 20 लाख पर्यटक घूमने आते हैं।

यूक्रेन डार्क टूरिज्म से जुड़ा

पासपोर्ट फोटो डॉट ऑनलाइन ने इस पर एक सर्वे किया है। इस सर्वे में उन्होंने कहा, “अमेरिका की 80 फीसदी आबादी अपने जीवन में एक बार ब्लैक टूरिज्म करना चाहती है. 30 फीसदी अमेरिकी यूक्रेन जाना चाहते हैं. लोगों की मानें तो वे युद्ध के रुकने का इंतजार कर रहे हैं. देखने में काफी दिलचस्पी है.” लोगों का कहना है कि वे वहां से सबक लेना चाहते हैं।

डार्क टूरिज्म से जुड़ी कुछ खास जगहें

डार्क टूरिज्म से जुड़ी कुछ खास जगहों को पर्यटक काफी पसंद कर रहे हैं। जादू-टोने के आरोपियों के लिए 17वीं सदी का बोस्टन टॉर्चर, जापान का सुसाइड फॉरेस्ट ओकिगहारा, कोलंबिया का लग्जरी जेल पाब्लो एक्सोबार, पोलैंड का टॉर्चर साइट, टेनेसी में मैककेमी मैनर घोस्ट ऐसी ही कुछ खास जगहों को लोग पसंद कर रहे हैं। पर्यटक उस जगह पर जाने में रुचि दिखा रहे हैं, जहां नरसंहार हुआ था।

डार्क टूरिज्म नकारात्मक नहीं है

डार्क टूरिज्म

डार्क टूरिज्म में कुछ भी नकारात्मक या गलत नहीं कहा जा सकता। वैसे भी आज यह चलन नहीं है और दशकों से लोग ऐसी जगहों पर जाना पसंद कर रहे हैं, जहां उन्हें अपनी आंखों से मानव इतिहास की गलतियों को देखने का मौका मिले। रूस के चेरनोबिल परमाणु संयंत्र में विस्फोट भी ऐसी ही एक दुर्घटना है। जहां परमाणु रिएक्टर में अचानक विस्फोट हुआ और उस समय के यूएसआर को अपने दोनों शहरों को तत्काल खाली करना पड़ा। अब 37 साल बाद रेडिएशन कम होने के बाद भी यह शहर पूरी तरह वीरान है, लेकिन पर्यटक यहां घूमने आ रहे हैं।

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